जानिए बाबर के बारे में

(1) बाबर ने 1526 ई से 1530 ई तक शासन किया.

(2) 24 फरवरी, 1483 ई. को फ़रग़ना में 'ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर' का जन्म हुआ.

(3) बाबर अपने पिता की ओर से तैमूर का पांचवा एवं माता की ओर से चंगेज खान का चौदहवां वंशज था.

(4) बाबर के पिता उमरशेख मिर्जा फरगाना नाम के छोटे से राज्य के शासक थे.

(5) बाबर फरगाना की गद्दी पर 8 जून 1494 ई में बैठा.

(6) बाबर ने 1507 ई में बादशाह की उपाधि धारण की, जिसे अब तक किसी तैमूर शासक ने धारण नहीं की थी.

(7) बाबर की मातृभाषा चग़ताई भाषा थी लेकिन फारसी में बाबर को महारत हासिल थी. उसने चगताई में बाबरनामा के नाम से अपनी जीवनी लिखी थी.

(8) 1526 ई. में पानीपत के प्रथम युद्ध में दिल्ली सल्तनत के अंतिम वंश (लोदी वंश) के सुल्तान इब्राहीम लोदी की पराजय के साथ ही भारत में मुग़ल वंश की स्थापना हो गई.

(9) इस वंश का संस्थापक "ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर" था. केवल 22 साल में क़ाबुल पर अधिकार कर अफ़ग़ानिस्तान में राज्य कायम किया था.

(10)
 बाबर ने भारत पर पांच बार आक्रमण किया.

(11) बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण पंजाब के शासक दौलत खान लोदी और मेवाड़ के शासक राणा सांगा ने दिया था.

(12) बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध थे:
(i) पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल, 1526 ई. को इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(ii) खनवा का युद्ध 17 मार्च 1527 ई में राणा सांगा और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iii) चंदेरी का युद्ध 29 मार्च 1528 ई में मेदनी राय और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.
(iv) घाघरा का युद्ध 6 मई 1529 ई में अफगानो और बाबर के बीच हुआ, जिसमें बाबर की जीत हुई.

(13) पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने पहली बार तुगल्लमा युद्ध नीति का इस्तेमाल किया.

(14) उस्ताद अली और मुस्तफा बाबर के दो निशानेबाज थे, जिसने पानीपत के प्रथम युद्ध में भाग लिया था.

(15) पानीपत के युद्ध में लूटे गए धन को बाबर ने अपने सैनिक अधिकारियों, नौकरों एवं सगे सम्बन्धियों में बांट दिया. इस बंटवारे में हुमायूं को वह कोहिनूर हीरा प्राप्त हुआ, जिसे ग्वालियर नरेश 'राजा विक्रमजीत' से छीना गया था. इस हीरे की क़ीमत के बारे में यह माना जाता है कि इसके मूल्य द्वारा पूरे संसार का आधे दिन का ख़र्च पूरा किया जा सकता था.

(16) भारत विजय के ही उपलक्ष्य में बाबर ने प्रत्येक क़ाबुल निवासी को एक-एक चांदी का सिक्का उपहार स्वरूप प्रदान किया था. अपनी इसी उदारता के कारण उसे 'कलन्दर' की उपाधि दी गई .

(17) खानवा के युद्ध में जीत के बाद बाबर को गाजी की उपाधि दी गई.

(18) 48 साल में 27 सितंबर में 1530 ई को आगरा में बाबर की मृत्यु हो गई.

(19) बाबर के शव को पहले आगरा के आरामबाग में दफनाया गया, बाद में काबुल में उसके द्वारा चुने गए स्थान पर दफनाया गया. जहां उसका मकबरा बना हुआ है. उसके बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र हुमायूं मुग़ल बादशाह बना.

(20) बाबर ने अपनी आत्मकथा 'बाबरनामे' की रचना की थी, जिसका अनुवाद बाद में अब्दुल रहीम खानखाना ने किया.

(21) बाबर को मुबईयान नाम की पद्द शैली का जन्मदाता भी कहते हैं.

(22) बाबर का उत्तराधिकारी हुमायूं हुआ.