ग्‍वालियर का किला

ग्‍वालियर का किला


पिछले 100 वर्षों से अधिक समय से यह किला ग्‍वालियर शहर में मौजूद है। भारत के सर्वाधिक दुर्भेद्य किलों में से एक यह विशालकाय किला कई हाथों से गुजरा। इसे सेंड स्‍टोन की पहाड़ी पर निर्मित किया गया है और यह मैदानी इलाके से 100 मीटर ऊंचाई पर है। किले की बाहरी दीवार लगभग 2 मील लंबी है और इसकी चौड़ाई 1 किलो मीटर से लेकर 200 मीटर तक है। किले की दीवारें एकदम खड़ी चढ़ाई वाली हैं। यह किला उथल पुथल के युग में कई लडाइयों का गवाह रहा है साथ ही शांति के दौर में इसने अनेक उत्‍सव भी मनाए हैं। इसके शासकों में किले के साथ न्‍याय किया, जिसमें अनेक लोगों को बंदी बनाकर रखा। किले में आयोजित किए जाने वाले आयोजन भव्‍य हुआ करते हैं किन्‍तु जौहरों की आवाज़ें कानों को चीर जाती है। यही वह स्‍थान है जहां तात्‍या टोपे और झांसी की रानी ने स्‍वतंत्र संग्राम का युद्ध किया। झांसी की रानी ने इस किले पर कब्‍जा करने के लिए ब्रिटिश राज द्वारा किए गए दुर्व्‍यवहार के कारण हुए संघर्ष में अपना जीवन न्‍यौछावर कर दिया।