कामाख्‍या मंदिर

कामाख्‍या मंदिर


कामाख्‍या मंदिर, जो नीलाचल पर्वत या कामगिरी पर्वत पर गुवाहाटी शहर में पहाड़ी की ऊंची चोटी पर स्थित है, अनेक धार्मिक स्‍थलों में से एक है, जो असम राज्‍य के समृद्ध ऐतिहासिक विवरण की कहानी स्‍वयं कहता है। यह पवित्र मंदिर असम शहर का हृदय है जो देखने वालों की आंखों को बांध लेता है। कामाख्‍या मंदिर का निर्माण देवी कामाख्‍या या सती के लिए किया गया था जो देवी दुर्गा या देवी शक्ति के अनेक अवतारों में से एक थीं।


यह मंदिर गुवाहाटी रेलवे स्‍टेशन से कुछ किलो मीटर की दूरी पर है और यह पूरे साल दर्शकों के लिए खुला रहता है। इस मंदिर के इतिहास के साथ एक कहानी जुड़ी हुई है, जो धार्मिक युग में हमें पीछे की ओर ले जाती है। इस कथा के अनुसार भगवान शिव की पत्‍नी सती (हिन्‍दु धर्म में एक पवित्र अवतार) ने अपना जीवन उस यज्ञ के आयोजन में समर्पित कर दिया जो उनके पिता दक्ष द्वारा आयोजित किया गया था, क्‍योंकि उन्‍होंने अपने पिता द्वारा अपने पति के अपमान को सहन नहीं किया। यह समाचार सुनने पर कि उनकी पत्‍नी की मृत्‍यु हो गई है, भगवान शिव जो सभी का नाश भी कर सकते हैं, आवेश में आए और उन्‍होंने दक्ष को दण्‍ड दिया तथा उनके सिर के स्‍थान पर बकरे का सिर लगा दिया। दुख और आवेश से पीडित शिव ने अपनी पत्‍नी सती का शरीर उठाया और विनाश का नृत्‍य अर्थात तांडव किया। विनाशकर्ता का आवेश इतना सघन था कि अनेक देवता उनके क्रोध को शांत करने के लिए तत्‍पर हुए। इस संघर्ष के बीच में भगवान विष्‍णु के हाथ में स्थित चक्र से सती के पार्थिव शरीर के 51 हिस्‍से हो गए (जो हिन्‍दु धर्म में एक अन्‍य महत्‍वपूर्ण देवता हैं) और उनका प्रजनन अंग या योनि उस स्‍थान पर गिरी जहां आज कामाख्‍या मंदिर स्थित है और आज यह उनके शरीर के अन्‍य हिस्‍सों के साथ एक शक्ति पीठ बन गया है।