हुमायूं का मकबरा

इस स्‍मारक की भव्‍यता यहां आने पर दो मंजिला प्रवेश द्वार से अंदर प्रवेश करते समय ही स्‍पष्‍ट हो जाती है। यहां की ऊंची छल्‍लेदार दीवारें एक चौकोर उद्यान को चार बड़े वर्गाकार हिस्‍सों में बांटती हैं, जिनके बीच पानी की नहरें हैं। प्रत्‍येक वर्गाकार को पुन: छोटे मार्गों द्वारा छोटे वर्गाकारों में बांटा गया है, जिससे एक प्रारूपिक मुहर उद्यान, चार बाग बनता है। यहां के फव्‍वारों को सरल किन्‍तु उच्‍च विकसित अभियांत्रिकी कौशलों से बनाया गया है जो इस अवधि में भारत में अत्‍यंत सामान्‍य है। अंतिम मुगल शासक, बहादुर शाह जफर ।। ने 1857 में स्‍वतंत्र के प्रथम संग्राम के दौरान इसी मकबरे में आश्रय लिया था। मुगल राजवंश के अनेक शासकों को यहीं दफनाया गया है। हुमायूं की पत्‍नी को भी यहीं दफनाया गया था।