राजा राम मोहन राय (1772-1833):

राजा राम मोहन राय (1772-1833):
स्‍वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्‍व राजा राम मोहन राय, बंकिम चन्‍द्र और ईश्‍वरचन्‍द्र विद्यासागर जैसे सुधारवादियों के हाथों में चला गया। इस दौरान राष्‍ट्रीय एकता की मनोवैज्ञानिक संकल्‍पना भी, एक सामान्‍य विदेशी अत्‍याचारी/तानाशाह के विरूद्ध संघर्ष की आग को धीरे-धीरे आगे बढ़ाती रही।


राजा राम मोहन राय ने समाज को उसकी बुरी प्रथाओं से मुक्‍त करने के उद्देश्‍य से 1828 में ब्र‍ह्म समाज की स्‍थापना की। उन्‍होंने सती, बाल वि‍वाह व परदा पद्धति जैसी बुरी प्रथाओं को समाप्‍त करने के लिए काम किया, विधवा विवाह स्‍त्री शिक्षा और भारत में अंग्रेजी पद्धति से शिक्षा दिए जाने का समर्थन किया। इन्‍हीं प्रयासों के कारण ब्रिटिश शासन द्वारा सती होने को एक कानूनी अपराध घोषित किया गया।