जहांगीर:

जहांगीर:
अकबर के स्‍थान पर उसके बेटे सलीम ने तख्‍तोताज़ को संभाला, जिसने जहांगीर की उपाधि पाई, जिसका अर्थ होता है दुनिया का विजेता। उसने मेहर उन निसा से निकाह किया, जिसे उसने नूरजहां (दुनिया की रोशनी) का खिताब दिया। वह उसे बेताहाशा प्रेम करता था और उसने प्रशासन की पूरी बागडोर नूरजहां को सौंप दी। उसने कांगड़ा और किश्‍वर के अतिरिक्‍त अपने राज्‍य का विस्‍तार किया तथा मुगल साम्राज्‍य में बंगाल को भी शामिल कर दिया। जहांगीर के अंदर अपने पिता अकबर जैसी राजनैतिक उद्यमशीलता की कमी थी। किन्‍तु वह एक ईमानदार और सहनशील शासक था। उसने समाज में सुधार करने का प्रयास किया और वह हिन्‍दुओं, ईसाइयों तथा ज्‍यूस के प्रति उदार था। जबकि सिक्‍खों के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण थे और दस सिक्‍ख गुरूओं में से पांचवें गुरू अर्जुन देव को जहांगीर के आदेश पर मौत के घाट उतार दिया गया था, जिन पर जहांगीर के बगावती बेटे खुसरू की सहायता करने का अरोप था। जहांगीर के शासन काल में कला, साहित्‍य और वास्‍तुकला फली फूली और श्री नगर में बनाया गया मुगल गार्डन उसकी कलात्‍मक अभिरुचि का एक स्‍थायी प्रमाण है। उसकी मृत्‍यु 1627 में हुई।